पनामा पेपर्स (गोपनीयता की कला)
पनामा पेपर्स
करीब 1.15 करोड़ वित्तीय और कानूनी रिकॉर्ड्स के लीक होने से विदेशों में गुप्त ढंग से चल रही कंपनियों के आपराधों, भ्रष्टाचार और गलत कामों के एक ऐसे तंत्र का भांडा फोड़ दिया, जिसे काफी अर्से से बेहद गुपचुप ढंग से चलाया जा रहा था।
इस राज के खुलने से तकरीबन सारी दुनिया में भारी अफरा-तफरी मचती दिखी
दि पनामा पेपर (पनामा लीक्स) 1.15 करोड़ ऐसे दस्तावेजों का सेट है जिसमें विदेश में संचालित 2,14,000 कंपनियों के कामकाज से जुड़ी अहम जानकारियां थीं। यह कंपनियां एक पनामाई लॉ फर्म और कॉर्पोरेट सेवा प्रदाता मोस्साक फोनेस्का के जरिये यह सबकुछ कर रही थीं। इन दस्तावेजों में लॉ फर्म और इन कंपनियों के बीच हुए संवाद का विवरण मौजूद है। इसके अलावा इन रिकॉर्ड्स में इन कंपनियों के शेयरधारकों की पहचान और मोसैक फोनसेका के साथ संबद्ध उनके निेदेशकों के बारे में जानकारियां थीं। इन विवरणों को देख कर पता चलता है कि किस तरह से बड़े-बड़े धन कुबेर, और सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हस्तियां अपनी बेशुमार संपत्तियों को आम लोगों की नजरों में आने से बचाये रखती हैं। इन दस्तावेजों के प्रकाश में आने से अर्जेंटीना, आइसलैंड, सऊदी अरब, यूक्रेन और संयुक्त अरब अमीरात के पांच तत्कालीन राष्ट्रप्रमुखों और करीब चालीस देशों के सरकारी आला अधिकारियों, नजदीकी रिश्तेदारों व करीबी लोगों के बारे में जानकारियां सामने आईं। इस खुलासे से सामने आई इन लोगों की ज्यादातर गुप्त कंपनियां ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड में थीं, जबकि इनका काम देख रहे ज्यादातर बैंक, लॉ फर्म व बिचौलिये हांगकांग के थे।
टैक्स हैवेन (करचोरों की पनहागाह)
टैक्स हैवेन उन देशों को कहा जाता है, जो विदेशी व्यक्तियों व कंपनियों को अपने यहां बहुत ही कम या बिना किसी कर देयता के साथ एक राजनीतिक व आर्थिक स्थिरता वाले माहौल में काम करने का अवसर प्रदान करते हैं। इसके अलावा यह देश अन्य देशों को कर संबंधी कोई भी जानकारी नहीं देते या बहुत ही कम सूचनाएं प्रदान करते हैं।
पनामा लीक्स के तहत लीक हुआ डेटा इससे पहले 2010 में हुए विकिलीक्स केबलगेट (1.7 जीबी), 2013 के ऑफशोर लीक्स (260 जीबी), 2014 के लक्स लीक्स (4 जीबी) और 2015 के स्विस लीक्स (3.3 जीबी) डेटा के मुकाबले कई गुना अधिक है। तुलनात्मक रूप से देखें तो पनामा लीक्स के तहत कुल 2.6 टेरा बाइट (टीबी) डेटा लीक हुआ, जो 2,600 गीगा बाइट (जीबी) के करीब बैठता है।
जांचें
यूरोपियन यूनियन
पनामा पेपर कांड की चपेट में यूरोप की कई बड़ी हस्तियां आईं। आकलन के मुताबिक टैक्स हैवेन के जरिये की गई कर चोरी के इन मामलों करीब एक ट्रिलियन यूरो के सार्वजनिेक धन का नुकसान हुआ।
फ्रांस
फ्रांस के वित्तीय जांचकर्ता इस मामले की जांच शुरू कर चुके हैं और राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने मामले से जुड़े करचोरों पर मुकदमा चला कर उन्हें सजा दिलाने की घोषणा की है। इसके अलावा इस मामले के खुलासे के बाद फ्रांस ने पनामा को एक बार फिर से टैक्स हैवेन्स की अपनी सूची में डाल दिया है। हाल ही में उसका नाम इस सूची से हटा दिया गया था।
आइसलैड
पनामा लीक्स कांड में नाम आने के बाद आइसलैंड के प्रधानमंत्री (सिंगमुंदुर डेविड गुनलाउगसन) को अपना पद छोड़ कर देश में चुनाव कराना पड़ा।
इटली
इटली की एक अदालत प्रोक्यूरा डी ट्यूरिन 6 अप्रैल 2016 को वित्तीय जांच एजेंसी गार्जिया डी फिनांज़ा को पनामा पेपर्स में नाम आने वाले करीब 800 इतालवी नागरिकों की जांच के आदेश दे चुकी है।
रूस
पनामा पेपर्स से रूस में गुप्त विदेशी समझौतों के जरिये 2 बिलियन डॉलर ( 1.4 बिलियन पाउंड) के कर्ज लिए जाने का खुलासा हुआ जिसके चलते रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन को एक मुकदमे का सामना करना पड़ा।
स्विटजरलैंड
स्विस पुलिस इस मामले में कई जांचें कर रही है। 6 अप्रैल को फीफा के नए अध्यक्ष गियेनी इंफेंटिनों द्वारा हस्ताक्षरित चैंपियंस लीग के टेलिविजन प्रसारण अधिकार संबंधी करार के मामले में फेडरल पुलिस ने नियोन स्थित यूईएफए मुख्यालय की तलाशी ली थी। ठीक इसी दिन जेनेवा के अटार्नी जनरल ने स्विस वकीलों और न्यासियों द्वारा कदाचार किए जाने संबंधी रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए कई मामले दाखिल किए।
यूनाइटेड किंगडम
समाचार पत्र गार्जियन के मुताबिक 170 बिलियन पाउंड से ज्यादा की यूके की प्रॉपर्टी अब विदेशों में हैं। करीब 31000 टैक्स हैवेन कंपनियों में हर दस में से एक जिनके पास ब्रिटेन में प्रॉपर्टी है, मोस्साक फोनेस्का से जुड़ी हुई हैं।
बांग्लादेश
7 अप्रैल 2016 को बांग्लादेश के एंटी करप्शन कमीशन ने मोस्साक फोनेस्का के साथ कथित रूप से जुड़े लोगों और कंपनियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है। इस मामले में 32 बांग्लादेशी व्यक्तियों और दो कंपनियों पर आरोप लगे हैं।
चीन
चीन के सात मौजूदा और पूर्व वरिष्ठ नेताओं सहित कई सरकारी उच्चाधिकारियों के रिश्तेदारों का नाम पनामा पेपर्स में आया है।
हांगकांग
आईसीआईजे के मुताबिक मोस्साक फोनेस्का का सबसे व्यस्त कार्यालय हांगकांग में ही था और इसी के जरिये चीनी अधिकारी व अन्य धनाड्य लोग धन को सीमापार ले जाते थे और यहां पर जमा करते थे।
पाकिस्तान
मोस्साक फोनेस्का के कागजात में हालांकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ और उनके छोटे भाई पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री शेबाज़ शरीफ का नाम नहीं है, पर इसमें शेबाज़ शरीफ के कुछ ससुराली रिश्तेदारों और नवाज़ शरीफ के बच्चों का विदेशों में संचालित कंपनियों से संबंध बताया गया है।
सीरिया
पेपर में बसर अल-असद की सरकार की करीबी तीन कंपनियों का नाम है। इसके अलावा सीरिया में गृहयुद्ध शुरू होने से पहले असद के रिश्ते के भाइ रामी व हफीज़ मखलूफ के पास 5 बिलियन डॉलर की संपत्ति होने और सीरियाई अर्थव्यवस्था के करीब 60 फीसदी इनका नियंत्रण होने की बात कही गई है।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई)
आईसीआईजे, समाचार पत्र गार्जियन व इंडिपेंडेंट की खबरों के मुताबिक यूएई के राष्ट्रपति खलीफा बिन ज़ायद अल नाहयान के पास करीब 30 शेल कंपनियों के जरिये लंदन में 1.2 बिलियन पाउंड से अधिक की संपत्तियां हैं।
अमेरिका (यूएसए)
अमेरिका में मैनहेटन की अटार्नी प्रीत भरारा ने पनामा पेपर्स मामले में 3 अप्रैल को एक आपराधिक जांच शुरू कर दी है। साथ ही उन्होंने इंटरनेशनल संसोर्सियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) को भी एक पत्र लिखकर कहा है कि वह इस बारे में जल्द से जल्द उनसे बात करना चाहेंगी।
ब्राजील
फोर्ब्स के मुताबिक ब्राजील के पांच अरब पतियों, ब्राजील के सबसे धनी व्यक्ति जोर्गे पाउलो लेमैन सहित दो धन कुबेरों के बेटे और चार पूर्व अरबपति परिवारों का नाम पनामा पेपर में है।
आस्ट्रेलिया
आस्ट्रेलिया के कराधान कार्यालय के मुताबिक गुप्त लॉ फर्म मोस्साक फोनेस्का द्वारा लीक हुए पानामा पेपर्स के मामले में करीब 800 आस्ट्रलियाई नागरिकों के खिलाफ जांच की जा रही है।
भारत
मोस्साक फोनेस्का से लीक हुए दस्तावेजों में करीब 500 भारतीयों के नाम हैं, जिनमें कई बड़े उद्योग पति व फिल्मी हस्तियां भी शामिल हैं। पेपर्स में बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन और उनकी बहू एश्वर्य राय बच्चन का भी नाम आया है। इसके अलावा इसमें रीयर एस्टेट डेवलपर कंपनी डीएलएफ के सीईओ कुशल पाल सिंह, इंडिया बुल्स ग्रुप के समीर गहलौत और गौतम अदानी के बड़े भाई विनोद अदानी का भी नाम आया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संबंध में जांच का आदेश दिया है। इसके अलावा सरकार ने बताया है कि वह इस बारे में विभिन्न एजेंसियों से संबद्ध एक समूह के साथ विचार-विमर्श कर रही है। इस ग्रुप में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, और इसकी विदेशी कर व कर अनुसंधान शाखा, फाइनेंशियल इन्वेस्टीगेशन यूनिट और रिजर्व बैंक के अधिकारी शामिल हैं।
पनामा पेपर की पेचीदगियां और उसके मायने
पनामा स्थित लॉ फर्म मोस्साक फोनेस्का से लीक करीब 11 मिलियन दस्तावेजों के मामले की जटिलता अपने आप में यह संकेत देती है कि ग्लोबल वित्तीय व्यवस्था के लिहाज से यह पनामा पेपर्स के जरिये सामने आए सुराग कितने महत्वपूर्ण हैं। इसकी गंभीरता का आभास अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा इस संदर्भ में जताई गई चिंता से भी होता है। आईसीआईजे और जर्मन समाचार पत्र सुदेइचेज्तंग द्वारा इस मामले में की गई संयुक्त जांच के बाद ओबामा ने करावंचन को एक बहुत बड़ी समस्या बताया था, पर यह काम टैक्स हैवेन के रूप में जाने जाने वाले कई देशों में बड़ी आसानी के साथ किया जा सकता है। यह बात एक हद तक भारत जैसे देश पर भी लागू होती है, जहां विदेशी कंपनियों की खरीद को लेकर कानूनी अस्पष्टता देखने को मिलती है और लॉ फर्म मोस्साक फोनेस्का इस सबसे जुड़ी सेवाएं ही अपने ग्राहकों को प्रदान करती थी। यह कानूनी अस्पष्टता की यह स्थिति इस बारे में वर्ष 2004 के बाद भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से कमाई को अपने देश भेजने (रेमिटेंस) और निवेश को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बावजूद बनी हुई है। इस संबंध में एक अहम करार वह है, जिसके तहत ग्लोबल फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा ‘असहयोगात्मक’ (नॉन-कोऑपरेटिव) करार दिए गए देशों को धनराशि नहीं भेजी जा सकती है। ( एफएटीएफ ने फरवरी 2016 में ही पनामा को उन देशों में शुमार किया था, जो हवाला कारोबार व आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने की दिशा में पर्याप्त कदम उठा रहे हैं) टैक्स हैवेन देशों को धन भेजे जाने के मामले में आरबीआई के ज्यादातर दिशा-निर्देश भी ऐसे मामलों को रोक पाने के बजाय घटना होने के बाद उठाए जाने वाले कदमों (रिएक्टिव मेजर्स) की प्रकृति के हैं। इस लिहाज से पनामा पेपर्स मामले की जांच और इससे जुड़े लोगों के खातों की पड़ताल किया जाना जरूरी है, ताकि ऐसे मामलों से निपटने के नियमों व मानदंडों को और भी सख्त व कारगर बनाया जा सके।
आईसीर्आजे विदेशों में चलाई जा रही कंपनियों (ऑफशोर कंपनीज) से जुड़े डेटा 9 मई को जारी चुकी है और वह पनामा पेपर्स का डेटाबेस भी जारी करेगी। अनुमान है कि यह ऑफशोर कंपनियों और उससे जुड़े सफेदपोश लोगों के बारे में अबतक का सबसे बड़ा खुलासा होगा।
- ग्लोबल ज्वाइंट इन्वेस्टीगेशन का प्रस्ताव करों को लेकर होने वाली विशेश बैठक के दौरान पेश किए जाने की संभावना है।
- पेरिस में होने वाली इस बैठक में 28 देशों के अधिकारी भाग लेंगे। बैठक में पनामा पेपर्स से सामने आई जानकारियों के आधार पर कर वंचना से निपटने के लिए मिलजुल कर कार्रवाई करने की रणनीति पर विचार किए जाने की संभावना है।
स्रोत – इंटरनेशनल कंसोर्सियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे)
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