Thursday, October 11, 2018

Ancient history of Bihar - part 1 - बिहार का प्राचीन इतिहास - for UPSC/BPSC/SSC/RAILWAY etc. - Study Arena


बिहार का प्राचीन इतिहास: पाषाण काल से मौर्य पूर्व राजवंश तक


पाषाण युग स्‍थल
  • पुरापाषाणी स्‍थलों (पेलियोलिथिक साइट्स) की खोज मुंगेर और नालंदा से की गई है।
  • मध्‍यपाषाण स्‍थलों (मेसोलिथिक साइट्स) की खोज हजारीबाग, रांची, सिंहभूम तथा संथल परगना (सभी झारखंड में) से की गई है।
  • नव पाषाण (निओलिथिक) (2500 - 1500 ईसा पूर्व) कलाकृतियों की खोज चिरांद (सरण) और चेचर (वैशाली) से की गई है।
  • चिरांद (सरण), चेचर (वैशाली), चंपा (भागलपुर) तथा तारदीह (गया) से ताम्रपाषाण युग की कुछ वस्‍तुएं प्राप्‍त हुईं हैं।
महाजनपद
  • वैदिक युग में बाद में कईं छोटे राज्‍यों का उदय हुआ। 16 साम्राज्‍यों तथा गणराज्‍यों को महाजनपद के रूप में जाना जाता है, जो भारत – गंगा मैदानों में फैले हुए हैं। वे निम्‍नानुसार हैं:
1.   कासी2.   कम्‍बोज
3.   कोसाला4.   गांधार
5.   अंग6.   अवंती
7.   मगध8.   अस्‍साका
9.   वज्जि (वृजि)10. सुरसेन
11. मल्‍ला12. मत्‍स्‍य
13. चेदि14. पांचाल
15. वत्‍स (वामसा)16. कुरू

  • तीन महाजनपद नामत: मगध, अंग तथा वज्जि बिहार में थे।
अंग राज्‍य
  • इसका उल्‍लेख पहली बार अथर्ववेद में किया गया है।
  • वर्तमान में इसमें खगरिया, भागलपुर तथा मुंगेर शामिल हैं।
  • यह मगध साम्राज्‍य के उत्‍तर-पूर्व में स्थित था।
  • चंपा (वर्तमान में भागलपुर) राजधानी थी।
    • इसे राजा महागोविंद द्वारा स्‍थापित किया गया था।
    • इसे चेनांपो (ह्यून त्‍सांग द्वारा) तथा मालिनी भी कहा जाता था।
वज्जि राज्‍य
  • इसमें आठ वंश निहित थे।
  • सबसे महत्‍वपूर्ण वंश लिछावी, विदेहा तथा जनात्रिका थे।
  • यह उत्‍तर भारत में स्थित था।
  • वज्जि की राजधानी वैशाली में स्थित थी।
  • इसे विश्‍व का पहला गणतंत्र माना जाता था।
लिछावी वंश
  • यह वज्जि संधि में सबसे शक्तिशाली वंश था।
  • यह गंगा तथा नेपाल के उत्‍तरी तटों पर स्थित था।
  • इसकी राजधानी वैशाली में स्थित थी।
  • भगवान महावीर का जन्‍म कुंदाग्राम, वैशाली में हुआ था। उनकी माता लिछावी की राजकुमारी थीं (राजा चेतक की बहन)।
  • उन्‍हें बाद में हरयंका वंश के अजातशत्रु द्वारा मगध साम्राज्‍य में शामिल कर लिया गया था।
  • बाद में गुप्‍त सम्राट चंद्रगुप्‍त ने लिछावी की राजकुमारी कुमारादेवी से विवाह कर लिया।
जनात्रिका वंश
  • भगवान महावीर इस वंश से संबंधित थे। उनके पिता इस वंश के प्रमुख थे।
विदेह वंश
  • इसका उल्‍लेख पहली बार यजुर्वेद में किया गया है।
  • इस राज्‍य की शुरूआत इश्‍कावाकु के पुत्र निमी विदेह द्वारा की गई थी।
  • मिथिजनक विदेह ने मिथिला की स्‍थापना की।
  • राजा जनक की पुत्री देवी सीता इस वंश से संबंधित थीं।
  • जनकपुर (अब नेपाल में) इस राज्‍य की राजधानी थी।
मगध राज्‍य
  • इसका उल्‍लेख पहली बार अथर्ववेद में किया गया है।
  • यह उत्‍तर में गंगा से दक्षिण में विंध्‍यास तक, पूर्व में चंपा से पश्चिम में सोन नदी तक विस्‍तारित है।
  • इसकी राजधानी गिरीवृज या राजगीर थी जो पांच पहाड़ों द्वारा सभी ओर से पहाड़ों से घिरी हुई थी।
  • बाद में राजधानी को पाटलीपुत्र स्‍थानांतरित कर दिया गया था।
  • मगध राज्‍य में कोशल, वत्‍स तथा अवंती शामिल थे।
  • इसने बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के विकास में एक महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा की।
  • भारत के दो महान साम्राज्‍यों अर्थात् मौर्य और गुप्‍त का उदय मगध में हुआ।
मगध साम्राज्‍य से मौर्य पूर्व राजवंश
बृहधृथ राजवंश
  • बृहधृत को पहले मगध के राजा के रूप में जाना जाता था। वह चेदि के कुरू राजा वासु के बड़े पुत्र थे।
  • उनके नाम का उल्‍लेख ऋग्‍वेद में किया गया है।
  • बृहधृत का पुत्र जरासंध सबसे प्रसिद्ध राजा था।
  • गिरीवृज (राजगीर) जरासंध के अधीन एक राजधानी थी।
  • प्रोदयोता राजवंश मगध में बृहधृत राजवंश के उत्‍तराधिकारी थे।
हरयंका राजवंश - 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व
बिम्बिसार
  • इन्‍होंने राजवंश की स्‍थापना की। यह बुद्ध के समकालीन थे।
  • इन्होंने अपनी राजधानी राज‍गीर में स्थापित की।
  • इन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार वैवाहिक संबंधों के माध्यम से किया था जिसका उदाहरण कोशल राज्‍य है।
  • वह स्थायी बलों / सेना बनाने के लिए इतिहास में पहला शासक भी था।
  • इन्होंने अवंती के राजा चंद प्रदयोता और उनके लंबे समय तक प्रतिद्वंद्वी के उपचार हेतु शाही चिकित्सक जिवाका को उज्जैन भेजा, जो बाद में मित्र बन गए।
अजातशत्रु
  • इन्होंने अपने पिता बिंबिसार को अगला शासक बनने के लिए मार दिया।
  • भगवान बुद्ध ने महापरिनिर्वाण प्राप्त किया और भगवान महावीर ने भी अपने शासनकाल के दौरान मोक्ष प्राप्त किया।
  • पहली बौद्ध परिषद (483 ईसा पूर्व) राजगीर में इनके संरक्षण के तहत आयोजित की गई थी।
उदायिन
  • इसने भी अगला शासक बनने के लिए अपने पिता अजातशत्रु को मार दिया।
  • इसने गंगा और सोन नदियों के संगम पर पाटलीपुत्र शहर की स्थापना की और इसे अपनी राजधानी बनाया।
शिशुनाग राजवंश - 412 ईसा पूर्व से 344 ईसा पूर्व
शिशुनाग
  • यह राजवंश के संस्थापक थे। यह बनारस के वायसराय थे।
  • इस समय के दौरान मगध की दो राजधानियां अर्थात् राजगीर और वैशाली थीं।
  • आखिरकार इन्होंने अवंती के प्रतिरोध को समाप्‍त करके 100 वर्ष की प्रतिद्वंद्विता को खत्म कर दिया।
कालाशोक
  • इन्होंने अपनी राजधानी को पाटलीपुत्र स्थानांतरित किया और यह आगे मगध साम्राज्य की राजधानी के रूप में जारी रहा।
  • वैशाली में दूसरी बौद्ध परिषद (383 ईसा पूर्व) का आयोजन इनके संरक्षण के तहत किया गया था।
नंद राजवंश - 344 ईसा पूर्व से 321 ईसा पूर्व
  • महापदमानंद ने अंतिम शिशुनाग शासक नंदीवर्धन की हत्या के बाद राजवंश की स्थापना की।
  • इन्हें महापदमापति एक अनंत मेजबान या विशाल संपत्ति के स्वामी के रूप में भी बताया गया था।
  • महाबोधिंवाम्‍स में, इन्हें उग्रसेन कहा जाता था।
  • धनानंद इस वंश के अंतिम शासक थे और अलेक्जेंडर के समकालीन थे।

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