Wednesday, October 10, 2018

History of Mauryan Empire - मौर्य साम्राज्य का इतिहास - Study Arena

मौर्य साम्राज्य के इतिहास पर स्टडी नोट्स 



GK इतिहास नोट्स: मौर्य साम्राज्य

मौर्य साम्राज्‍य का उदय :
मौर्य साम्राज्‍य का प्रारंभ चंद्रगुप्‍त मौर्य द्वारा 321 ईसा पूर्व में मगध से हुआ। विशाखादत्‍त द्वारा रचित मुद्राराक्षस में चाणक्‍य की मदद से चंद्रगुप्‍त मौर्य के उदय का सुदंरता से चित्रण किया गया है। चंद्रगुप्‍त मौर्य जैनधर्म का अनुयायी था। पाटलिपुत्र, आधुनिक पटना मौर्य साम्राज्‍य की राजधानी थी।

मौर्य साम्राज्‍य का विस्‍तार:

मौर्य साम्राज्‍य उस समय के सबसे बड़े साम्राज्‍यों में से एक था और 5,000,000 वर्ग कि.मी से भी अधिक क्षेत्रफल में विस्‍तारित था। उत्‍तर-पूर्व भारत के हिस्‍सों, केरल और तमिलनाडु को छोड़कर मौर्यों ने शेष भारतीय उप-महाद्वीपों पर शासन किया था।

राजव्‍यवस्‍था
  1. मेगस्‍थनीज़ की पुस्‍तक इंडिका और अर्थशास्‍त्र(कौटिल्‍य द्वारा लिखित) के विवरणों में मौर्य प्रशासन, समाज और अर्थव्‍यवस्‍था का विस्‍तृत वर्णन किया गया है।
  2. साम्राज्‍य प्रांतों में विभाजित था, जिसका शासन राजकुमारों के हाथ में था। इसके साथ, 12 विभागों, सैन्‍य बलों में छह शाखाओं का भी उल्‍लेख किया गया है। चंद्रगुप्‍त ने एक सुव्‍यवस्थित प्रशासनिक तंत्र को स्‍थापित किया और एक ठोस वित्‍तीय आधार प्रदान किया।
बिंदुसार (298 – 273 ईसापूर्व)
ग्रीक में इसे अमित्रघात के नाम से जाना जाता था और यह आजीवक सम्‍प्रदाय का अनुयायी था।

अशोक:
  1. अशोक 273 ईसापूर्व में सिंहासन पर बैठा और 232 ईसापूर्व तक शासन किया। इसे ‘देवप्रिय प्रियदर्शी’ के नाम से जाना जाता था, जिसका अर्थ था, ईश्‍वर का प्‍यारा।
  2. अशोक ने 261 ईसापूर्व में कलिंग का युद्ध लड़ा। कलिंग आधुनिक उड़ीसा में है।
  3. अशोक के शिलालेखों को सबसे पहले जेम्‍स प्रिंसेप ने पढ़ा था।
  4. कलिंग के युद्ध के पश्‍चात, अशोक बौद्ध हो गया, युद्ध के आंतक से विचलित होकर, उसने बेरीघोष की जगह धम्‍मघोष मार्ग अपनाया।
  5. अशोक को बौद्ध धर्म का ज्ञान बुद्ध के एक शिष्‍य उपगुप्‍त या निग्रोध ने दिया था।
  6. बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अशोक ने धर्ममहामात्रों को नियुक्‍त किया।
अशोक के शिलालेख
  1. अशोक के शिलालेखों में राज आज्ञा थी जिसके जरिए वह जनता से सीधे संपर्क करने में सक्षम था। ये शिलालेख और स्‍तंभलेख थे जिन्‍हें दीर्घ और लघु में बांटा गया था।
  2. अशोक के 14 मुख्‍य शिलालेख धर्म सिद्धांत के बारे में बताते हैं।
  3. कलिंग शिलालेख कलिंग युद्ध के बाद प्रशासन के सिद्धांत की व्‍याख्‍या करता है। अपने कलिंग शिलालेख में, इसने जिक्र किया है ‘सभी मनुष्‍य मेरे बच्‍चे हैं’।
  4. अशोक के मुख्‍य शिलालेख XII में कलिंग युद्ध का जिक्र किया गया है।
  5. ‘अशोक’ का सर्वप्रथम उल्‍लेख केवल मास्‍की लघु शिलालेख में हुआ है।
अशोक और बौद्ध धर्म
  • अशोक ने 250 ईसापूर्व में अपनी राजधानी पाटलिपुत्र में मोगलीपुत्‍त तिस्‍स की अध्‍यक्षता में तृतीय बौद्ध संगति का आयोजन किया।
  • उसने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए अपने पुत्र महेन्‍द्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका भेजा।
  • अशोक ने श्रीलंका और नेपाल में बौद्ध धर्म का प्रचार किया। इसे बौद्ध धर्म के कोंसटेटाइन कहा जाता है।
  • श्रीलंका के शासक देवमप्रिय तिस्‍स अशोक के प्रथम बौद्ध धर्म धर्मांतरण थे।
  • अशोक की धम्‍म नीति का व्‍यापक उद्देश्‍य सामाजिक व्‍यवस्‍था को बनाए रखना था।
  • अशोक ने 40 वर्षों तक शासन किया और 232 ईसापूर्व में इसकी मृत्‍यु हो गई।
मौर्य प्रशासन
अत्‍यधिक केन्‍द्रीयकृत प्रशासनिक ढांचा। चाणक्‍य ने प्रशासन में सप्‍तांग सिद्धांत के 7 तत्‍वों का जिक्र किया है। राजा को मंत्रिपरिषद द्वारा सलाह दी जाती थी। विभिन्‍न प्रशासनिक क्रियाकलापों के लिए महत्‍वपूर्ण अधिकारी नियुक्‍त किए जाते थे।
प्रशासन चार इकाईयों में विभाजित था
  • चक्र या प्रांत
  • अहर या जिला
  • संघ्राहाना या गांवों का समूह
  • गांव
नगरीय प्रशासन के अध्‍यक्षता करने वाले नगरक का उल्‍लेख अर्थशास्‍त्र में भी पाया जाता था।

मौर्य कला
1) शाही कला – राजमहल, स्‍तंभ, गुफाएं, स्‍तूप आदि
2) लोकप्रिय कला – चित्रण मूर्तियां, टेराकोटा वस्‍तुएं आदि
भारतीय गणराज्‍य के प्रतीक को अशोक स्‍तंभ के चार शेरों से लिया गया है, जो सारनाथ में स्थित है। सांची से अन्‍य चार शेर, रामपुरवा और लौरिया नन्‍दनगढ़ से एक शेर और रामपुरवा से एक बैल और धौली में नक्‍काशीदार हाथी पाए जाते हैं।
मौर्यों ने व्‍यापक स्‍तर पर पत्‍थर राजगिरी की शुरुआत की थी। इन्‍होंने चट्टानों को खोदकर गुफाएं बनाने की शुरूआत की और बुद्ध और बोधिसत्‍व के पुरावशेष संग्रहित करने के लिए स्‍तूपों का निर्माण किया जिसका बाद में गुप्‍त वंश द्वारा विस्‍तार किया गया था।
पतन का कारण
  • अत्‍यधिक केन्‍द्रीयकृत मौर्य प्रशासन
  • अशोक की मृत्‍यु के बाद विभाजन ने साम्राज्‍य की एकता में फूट डाल दी
  • उत्‍तरवर्ती कमजोर मौर्य शासक भी इस साम्राज्‍य के पतन के कारण थे


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